भारतीय नव वर्ष हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक है। विशुध् विज्ञान पर आधारित यह नव वर्ष हमारे लिए राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। आइये जाने इसके ऐतिहासिक महत्व को
*चैत्र की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भारतीय नव वर्ष मनाया जाता है।
* सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने आज से लगभग 1 अरब, 97 करोड़ 39 लाख, 49 हज़ार, 109 वर्ष पूर्व आज के ही दिन को सृष्टि आरंभ करने के लिए चुना।
*लंका दहन के बाद अयोध्या लौटने पर आज के ही दिन को भगवान राम ने अपने राज्याभिषेक के लिए चुना।
* विक्रमी संवत की शुरुआत जिस सम्राट विक्रमादित्य के नाम से हुई उन्होंने आज के ही दिन अपने साम्राज्य की स्थापना की।
*लगभग 5 हज़ार वर्ष पूर्व आज के ही दिन युधिष्टर का राज्याभिषेक हुआ।
*संत झूले लाल, सिंध प्रांत के समाज सेवक उनका जन्म भी आज के दिन हुआ।
* स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने आज के ही दिन को आर्य समाज की स्थापना के लिए चुना।
* सिख गुरु अंगद जी का जन्म भी आज के ही दिन हुआ।
* संघ संचालक डॉक्टर हेडगवार् जी का जन्म भी आज के ही दिन हुआ।
*नव रात्रि का प्रारंभ भी आज के दिन से होता है।
अब जाने प्राकृतिक महत्व
*ग्रह बड़े शुभ होते है इन दिनों।
*फसल के पकने का समय भी इन दिनों से होता है।
*वसंत ऋतू का खुशनुमा माहौल चारो तरफ होता है।
अपनी संस्कृति पर गर्व करे। आओ अपने नव वर्ष को मनाये।
जय श्री राम
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें